ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल-लीला से कीजिए।

हमेशा से मेरी पसंदीदा मिठाई गुलाब जामुन रही है। जब भी घर में गुलाब जामुन आते हैं तो मां मुझे सबसे पहले और सबसे ज्यादा देती है। एक दिन मेरे छोटे भाई का जन्मदिन था। तब मां ने घर पर 200 गुलाब जामुन बनाए थे। हमारे घर में करीब 50 मेहमान आए होंगे। सबने जी भर के गुलाब जामुन खाया और फिर भी बहुत सारे बच गए। मां मुझे हर रोज दो गुलाब जामुन देती थी। लेकिन उतने से मेरा मन नहीं भरता था। मैं चुपके से दो और गुलाब जामुन निकालकर खा जाया करता था। धीरे धीरे मैंने दो के चार गुलाब जामुन कर दिया। जब वो जल्द ही खत्म होने लगे तब मेरी मां को शक हो गया कि मैंने ही वो सारे गुलाब जामुन खाए हैं। तब मेरी मां ने मुझसे डांटते हुए पूछा। मां की डांट सुन मैंने भी गुलाब जामुन खाने की बात कबूल ली। श्रीकृष्ण की तरह खाने को लेकर मुझे भी डांट सुननी पड़ी। अब मैं मां की बात मानता हूं और चोरी करके कभी नहीं खाता।


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